Saturday, May 19, 2012

निर्मल बाबा के खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी

अररिया (बिहार)।। बिहार की एक अदालत ने धोखाधड़ी के मामले में शनिवार को निर्मलजीत सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा के खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी किया।
अररिया के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सत्येंद्र रजक की अदालत ने निर्मल बाबा के खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी किया। अदालत ने यह आदेश अनुसंधानकर्ता द्वारा कोर्ट में दाखिल किए गए अनुरोध पत्र के बाद दिया।

अररिया के पुलिस अधीक्षक(एसपी) शिवदीप लांडे ने बताया कि आरोपी निर्मल बाबा की गिरफ्तारी के लिए एक टीम बनाई गई है, यह टीम उन्हें जल्द गिरफ्तार करेगी।

गौरतलब है कि फारबिसगंज थाने में राकेश कुमार सिंह ने निर्मल बाबा पर भाग्य बदलने के नाम पर रुपये ऐंठने का आरोप लगाते हुए गत 21 अप्रैल को मामला दर्ज कराया था। सिंह के बयान के आधार पर निर्मल बाबा पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-417 एवं 420 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई थी। सिंह का आरोप है कि वह एक कंपनी में नौकरी करते थे। नौकरी में कुछ परेशानी आने पर वह बाबा के संपर्क में आए और बाबा के कहने पर उन्होंने पंजाब नैशनल बैंक के एक खाते में एक हजार रुपये जमा किए। सिंह की शिकायत है कि समस्या के समाधान के लिए निर्मल बाबा द्वारा बताए गए उपायों से उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ। लाभ के बजाय उनका और नुकसान हो गया। इस मामले की जांच फारबिसगंज के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी ) कर रहे हैं।

Sunday, May 13, 2012

जब प्यार चढ़ा परवान तो दुनिया के बंधन तोड़ बहनों ने की हदें पार

अम्बाला. पंद्रह दिन पहले घर से गायब हुई दो मौसेरी बहनों ने आपस में ही ब्याह रचा लिया। शनिवार को एक युवती के परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने दोनों को पकड़कर कोर्ट में पेश किया। कोर्ट के आदेश पर दोनों को नारी निकेतन करनाल भेज दिया गया। दोनों युवतियां बालिग हैं।

अम्बाला कैंट की पूनम का पहनावा और हाव-भाव बचपन से ही लड़कों जैसा है। उसकी मौसेरी बहन नेहा जालंधर कैंट (पंजाब) की रहने वाली है। नेहा ने हाथों में सुहाग का चूड़ा पहना हुआ था और मांग भरी थी। एक साल में युवतियों के आपस में ब्याह करने का यह अम्बाला का दूसरा मामला है।

इससे पहले अम्बाला में कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर का काम करने वाली युवती और एक प्राइवेट स्कूल की टीचर ने डेढ़ साल के प्रेम प्रसंग के बाद मंदिर में शादी कर ली थी। उधर पूनम के माता बिमला देवी का कहना है कि बेटी बिना बताए घर से गई थी लेकिन कई दिनों के बाद वह घर नहीं लौटी तो उन्होंने रिश्तेदारों से संपर्क करना शुरू किया था। यह क्यों किया उसे समझ नहीं आ रहा है, वह रिश्तेदारों के साथ मिलकर उनको समझाने का प्रयास कर रहे हैं।


अम्बाला में यह दूसरा मामला

अम्बाला में  पिछले एक साल में दो युवतियों द्वारा आपस में ब्याह रचाने का यह दूसरा मामला है। पहले यहां कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का काम करने वाली युवती और एक प्राइवेट स्कूल की टीचर ने डेढ़ साल के प्रेम प्रसंग के बाद मंदिर में शादी कर ली थी। उसके बाद दोनों ने परिजनों से जान का खतरा बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एक दूसरे के साथ रहने का हक माना था।


उनका तर्क था कि भारत के संविधान में सभी को अपने तरीके से जीने का हक दिया गया है। इस मामले में अभी तक हाईकोर्ट में कोई फैसला नहीं आया अलबत्ता कोर्ट ने एक वरिष्ठ वकील को कोर्ट मित्र बनाकर इस मामले में राय मांगी थी कि क्या दो लड़कियों आपस में विवाह कर सकती हैं।

Wednesday, May 9, 2012

मिलिए निर्मल बाबा के भी गुरु ‘महामंडलेश्वर स्वामी’ कुमारानन्द सरस्वती उर्फ ‘झोला छाप डॉक्टर’ से

समागम के जरिए दुख दूर करने वाले निर्मल बाबा ने टीवी कलाकारों से अपना गुणगान करवाया था या नहीं ये तो अभी भी मीडिया और बाबा के बीच बहस का मुद्दा बना हुआ है, लेकिन आज हम आपको मिलवाने जा रहे हैं एक ऐसे स्वामी से जो इस फन का इस्तेमाल बरसों से अपने भक्तों को लुभाने और अपनी झोली भरने के लिए करते आ रहे हैं। बताया जाता है कि निर्मल बाबा ने इन स्वामी जी से काफी कुछ सीखा है और यहां तक कहा जाता है कि उनके किराए के भक्तों का प्रिय डायलॉग बाबा जी के ‘चरणों में कोटी-कोटी प्रणाम’ का भी ऑरिजनल कॉपीराइट इन्हीं का है।
निर्मल बाबा के इन कथित गुरु का असली नाम क्या है ये कम ही लोगों को पता है, लेकिन वे खुद को श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर ब्रह्मर्षि स्वामी कुमारानन्द सरस्वती जैसे भारी भरकम नाम से संबोधित करवाना पसंद करते हैं। इन कथित स्वामी जी के समागम का प्रसारण फिलहाल सोनी टीवी, ज़ी टीवी समेत ग्यारह चैनलों पर होता है।
कुछ ही साल पहले तक कुमारानन्द सरस्वती उर्फ़ कुमारस्वामी दिल्ली और एनसीआर में मोटापा कम करने की गोलियां बेचा करते थे। तब वे खुद को डॉक्टर के. कुमार के नाम से बुलाते थे और अपने तथाकथित आयुर्वेदिक क्लीनिक का नाम अरिहंता रखा था। यह अलग बात है कि डॉक्टर साहब ने कोई चिकित्सकीय डिग्री या डिप्लोमा भी नहीं हासिल किया है।
कुमार स्वामी का प्रिय शगल है बिना शब्दों का अर्थ जाने बार बार कुछ शब्दों को अपने भाषण में दोहराते रहना जैसे प्रारूप, महाप्रारूप, आलोक, महाआलोक, अनन्त अनन्त आदि। अगर इन महाशय जी का भाषण ध्यान से सुना जाए तो हिन्दी के बड़े-बड़े जानकारों तक को शब्दकोष की शरण लेनी पड़ जाएगी। अगर इन महाशय जी के द्वारा प्रयुक्त ‘अनन्त’ शब्द के अर्थ पर ही ध्यान दिया जाए तो शब्दकोष के रचयिता तक का सर चकरा जाए। कुमारस्वामी अपने परिचय में कहते हैं, ”मैं अनन्त अनन्त राष्ट्रों के अनन्त अनन्त राष्ट्राध्यक्षों, राष्ट्रपतियों, प्रधानमन्त्रियों का निजी चिकित्सक रहा हूँ।”
खास बात ये है कि खुद को अनन्त पीएम और प्रेसीडेंट के ‘प्राइवेट डॉक्टर’ बताने वाले इन महाशय को ‘प्रेसीडेंट ऑफ लायंस क्लब, भांडुप’ भी अपना चिकित्सक मानने को राजी नहीं हैं। इन महाराज से उनके सभी मौखिक दावों का प्रामाणिक सबूत कई बार ई-मेल और फोन के जरिए मांगा गया लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया।
निर्मल बाबा के विपरीत स्वामी जी ने कई संस्थाएं बना रखी हैं। उनके बारे में कुछ जानकारियां उनके आधिकारिक वेबसाइट www.cosmicgrace.org और www.bslnd.org पर मौजूद है। वेबसाइटों पर तरह तरह के दावे किए गए हैं। स्वामी जी ने अपने भक्तों की संख्या 500 मिलियन यानि 50 करोड़ से भी ज्यादा बताई है। उन्हीं वेबसाइटों पर कहीं 150 तो कहीं 170 देशों में भक्तों का मौजूद होना बताया गया है।
स्वामी जी अक्सर अपने भ्रामक विज्ञापन देश के प्रमुख अखबारों में भी प्रकाशित करवाते रहते हैं। इनमें से अधिकतर इस तरह प्रकाशित होते हैं मानों वे खबरें हों। कोई ‘समाचार’ नई दिल्ली ब्यूरो, कोई लंदन ब्यूरो तो कोई न्यूयॉर्क ब्यूरो से प्रकाशित होता है। कुछ अखबार तो विज्ञापन को प्रमोशनल फीचर जैसे भ्रामक नाम देकर स्वामी जी का काम आसान कर देते हैं, और कुछ अखबार तो ये भी नहीं लिखते। लोगों को यही लगता है कि कुमारस्वामी एक अंतर्राष्ट्रीय हस्ती हैं। उत्तर भारत के लगभग सभी प्रमुख अखबार में स्वामी जी का फुल पेज ऐड छप चुका है और कोई भी इनके खिलाफ़ लिखने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाता। (जारी..)

Porn star - Abhishek manu singhvi sex cd

अभिषेक मनु सिंघवी कसमसा रहे हैं। सिंघवी को कांग्रेस का नया पोर्न स्टार कहा जा सकता है। इस पोर्न स्टार की कसमसाहट यह है कि वह कहीं भी नहीं जा पा रहे हैं। सब जगह से गायब हैं। जिस मीडिया के रोज जम कर मजे लेते थे, वहां से तो बिल्कुल ही फुर्रर। एक सीडी ने सारा मजा किरकिरा कर दिया। बेचारे सिंघवी... गए तो थे सेक्स का मजा लेने। पर, दुनिया अब उनके मजे ले रही है। वैसे, भजन, भोजन और ‘भोग’ का यह कायदा है कि उसे परदे में किया जाए, तो करनेवाले को खूब आनंद आता है। लेकिन जब उसको लोग देख लेते हैं, तो आपका आनंद तो हवा हो ही जाता है, उल्टे लोगों को उसका बहुत मजा आता है।
सिंघवी के मामले में भी यही हुआ। वे राजस्थान से राज्यसभा के सांसद हैं। कुछ दिन पहले तक कांग्रेस के नेता भी थे। रोज टीवी पर दिखते थे। सब जगह जाते थे। संसद में भी खूब उछलते थे। कांग्रेस की तरफ से बहुत बोलते थे। पर, अब बोलती बंद है। आंखों में शर्म है और टीवी की स्क्रीन से भी पूरी तरह से गायब। कहीं नहीं दिखते। ना संसद में, ना कांग्रेस मुख्य़ालय में, और ना ही कहीं किसी समारोह में। सुप्रीम कोर्ट में तो खैर जाएं भी किस मुंह से। वहीं तो अभिषेक मनु सिंघवी को सेक्स करते पूरी दुनिया ने सरेआम देखा, जी भर कर देखा। जिस सुप्रीम कोर्ट में वकालात करके रोजी रोटी चलाने के साथ वे देश के बड़े आदमी बने, उसी सुप्रीम कोर्ट के अहाते में बने अपने ही दफ्तर में सेक्स करते सीड़ी में समा गए। एक घर तो डायन भी टालती है। पर, सिंघवी ने ना तो सुप्रीम कोर्ट को छोड़ा, ना ही साथी महिला वकील को और ना ही अपने दफ्तर को। सबको सेक्स के साए में समेट लिया। बस, उस सीडी में महिला वकील के साथ रंगरेलियां मनाते दिखे, जो दिखे। उसके बाद सब जगह से गायब है।
उनके पिता लक्ष्मी मल्ल सिंघवी देश के बहुत बड़े कानूनविद कहे जाते थे। बहुत बड़ा नाम था। लेकिन बेटे अभिषेक ने उस इतने बड़े नाम को मिट्टी में मिला दिया। कभी अपन भी अभिषेक मनु सिंघवी के जोधपुर से होने की वजह से उन पर गर्व करते थे। पर, अब सिंघवी पर थूकने का भी मन नहीं करता। अभिषेक मनु सिंघवी ने जिंदगी भर कानून की देवी की कसमें खाई। इन्हीं कसमों से बाप बेटे की रोजी रोटी चली और राजनीति भी फलित हुई। पिता लक्ष्मी मल्ल सिंघवी पहले बीजेपी में थे। फिर पाला बदल कर कांग्रेस में आ गए। राजस्थान में पाली से लोकसभा का टिकट भी ले लिया। पर, सन 1989 में हुए इस चुनाव में गुमानमल लोढ़ा से वे हार गए। इससे पहले सरकार ने उनको अमरीका में भारत का हाई कमिश्नर बनाया। जिंदा होते और चुनाव जीते होते, तो देश के कानून मंत्री होते। अभिषेक मनु सिंघवी के अल्लू पल्लू उनमें भी देश का अगला कानून मंत्री देख रहे थे। पर, जिस कानून की पूजा करके सिंघवी ने नाम कमाया, उसी कानून की देवी के मंदिर में एक महिला वकील को जज बनाने का झांसा देकर उससे साथ सैक्स करते देश के भावी कानून मंत्री का यूं कैमरे में कैद हो जाना सिंघवी परिवार के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण साबित हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट में सिंघवी के सेक्स की सीडी के दृश्य इतने दमदार थे कि दुनिया भर में पूरी सीड़ी कई कई बार देखी गई। अपन ने भी इंटरनेट पर सिंघवी की सेक्स सीड़ी को देखा। अपने जैसे करोड़ों लोगों ने भले ही सीडी का मजा लिया। लेकिन सिंघवी की सेक्स सीडी से सोनिया गांधी शर्मा गई। फट से सिंघवी को सब जगह से ब्लैक आउट करने के आदेश दे दिए। और अब पूरे देश में सिंघवी को भारतीय राजनीति के नए पोर्न स्टार के रूप में पहचाना जाने लगा हैं।

दुनिया ने सिंघवी के सेक्स और उस पर बनी सीडी का खूब मजा लिया। इससे झल्लाकर अपने सेक्स की सीडी टीवी चैनलों पर नहीं दिखे, इसके लिए अभिषेक मनु सिंघवी ने सारे पुख्ता इंतजाम कर किए। कोर्ट से बैन का आदेश लिया। वेबसाइटों से वीडियो हटवाया। पर, फेसबुक और कई न्यूज कंटेट की वेबसाइट पर बार बार अपलोड़ होते इस वीडियो को खूब देखा गया। सिंघवी का बस चलता, तो वहां भी रोक लगवा लेते, पर पता नहीं किन कारणों से यूट्यूब और बाकी कई प्रसिद्ध और बहुत व्यापक फैलाव वाली इंटरनेट कंपनियों की वेबसाइट को न भारत में प्रतिबंधित किया गया और न इसके खिलाफ वे कोई बहुत प्रभावी कार्रवाई कर पाए। यूट्यूब नाम की यह कंपनी अमेरिका में रजिस्टर्ड है और कुछ ही समय पहले गूगल्स ने बहुत मोटी रकम देकर इसे खरीदा था। निशुल्क वीडियो दिखाने और किसी के भी वीडियो अपनी साईट पर होस्ट करने वाली इस कंपनी के संस्थापकों में जावेद मीर नाम का एक बांग्लादेशी भी है जो 1992 में अपने देश से भाग कर अमेरिका चला गया था। यूट्यूब पर मौजूद वीडियो में सिंघवी के बहुत सारे वीडियो मौजूद हैं। वहां से भी एक हटवाया तो भाई लोगों ने दूसरा अपलोड़ कर दिया। तू डाल डाल में पात पात की तरह मामला चलता रहा।

सिंघवी अब भले ही चुप हैं। सब जगह से गायब है। कहीं नहीं दिखते। पर, सुप्रीम कोर्ट में उनके सेक्स की यह सीडी उनका पीछा नहीं छोड़ रही। सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट ऑन रिकार्ड (एओआर) एसोसिएशन ने सिंघवी को मुकदमे की ब्रीफ न देने का प्रस्ताव पारित किया है। यानी कोर्ट में सिंघवी के पेश होने पर रोक लगाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट में एओआर ही मुकदमा दाखिल करने के लिए अधिकृत है। किसी भी केस में सिंघवी को ब्रीफ नहीं देने संबंधी प्रस्ताव को एओआर एसोसिएशन की जनरल बॉडी ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया था। एसोसिएशन की कार्यकारी समिति ने इसे मंजूरी दे दी। प्रस्ताव की प्रति भारत के मुख्य न्यायाधीश, दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और दिल्ली बार काउंसिल के अध्यक्ष को भी भेजी गई है। इस प्रस्ताव पर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील कुमार जैन को छोड़कर कार्यकारी समिति के लगभग सभी सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। जैन ने प्रस्ताव का विरोध किया था। जैन के विरोध को समझा जा सकता है। अभिषेक मनु सिंवी भी जैन हैं, और अध्यक्ष सुशील कुमार भी जैन। एक जैन अपने जाति भाई के दर्द में शामिल हो, तो सामाजिक नजरिए से इसको गलत नहीं माना जाना चाहिए। और एओआर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील कुमार जैन को जातिभाई का धर्म निभाते हुए सिंघवी का साथ देने के लिए माफ कर भी दिया जाए, तो भी अभिषेक मनु सिंघवी का अपराध कम नहीं हो जाता। क्योंकि सेक्स तो सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट यानी सरकारी स्थल के अहाते में किया है।

अभिषेक मनु सिंघवी को केरल के एक पापी का मामला केरल सरकार के खिलाफ ही लड़ने की वजह से कांग्रेस के प्रवक्ता पद से पहले भी एक बार हटा दिया गया था। सिंघवी ने गुनाह ही ऐसा किया था जिसके लिए उन्हें माफ नहीं किया गया। कई दिनों तक पत्रकारों को शेर ओ शायरी, कानून की धाराएं और शुद्व अंग्रेजी और हिंदी सुनने को नहीं मिली। कुछ दिन बाद लोग इस मामले को भूल गए और वे फिर प्रवक्ता के पद पर आ गए। अब एक बार फिर सिंघवी अलग - थलग है। पार्टी में भी दरकिनार है। इसीलिए बहुत ज्यादा कसमसा रहे हैं। वैसे, कुल मिलाकर अभिषेक मनु सिंघवी एक वकील है। कानून से खेलना उनको खूब आता है। कानून की कमजोरियों में जिंदगी को जीने के सामान को फिर से कैसे सजाया जाता है, यह भी वे अच्छी तरह जानते हैं। इसलिए कानूनी रूप से सिंघवी अपनी सारी सेक्सी शरारतों और उसके लिए की गई करतूतों के कलंक को धो देंगे। संसद में तो वैसे भी बने रहेंगे। पर, लोगों को दिलो में फिर जगह बना पाएं, इसकी गुंजाइश कम ही है। पूरी पार्टी को लज्जित कर देने वाले इस अपराध के लिए जैसा कि सिंघवी को भरोसा है, कांग्रेस उनको भले ही आगे जाकर पिछली बार की तरह एक बार फिर माफ कर दे। पर, कांग्रेस के इस पोर्न स्टार की कोर्ट में कलंकित कर देनेवाली करतूत को क्या आप भी भूल जाएंगे

Who is fraud nirmal baba?

मेदिनीनगर के चैनपुर स्थित कंकारी में ईंट भट्ठा शुरू किया. पर व्यवसाय नहीं चला : गढ़वा में कपड़ा का बिजनेस किया. पर इसमें भी नाकाम रहे : बहरागोड़ा इलाके में माइनिंग का ठेका भी लिया : रांची : बाबा जी, मुझे गाड़ी दिला दीजिए.. बाबा जी मैंने जो विश मांगी है, वह भी पूरी कर दीजिए.. बाबा जी मेरा वर्क टार्गेट पूरा करने का आशीर्वाद दें.. बाबा जी मेरी परीक्षा चल रही है, अच्छे मार्क्स दिला दें.. मुझे अच्छा घर दिला दें.. अच्छी नौकरी दिला दें.. रितू से शादी करा दें.. देश के 36 चैनलों पर सिर्फ एक व्यक्ति से यह इच्छा पूरी करने को कहा जा रहा है. और जिस व्यक्ति से यह सब कहा जा रहा है, वह हैं निर्मल बाबा.
निर्मलजीत सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा के इंटरनेट पर तीस लाख से भी अधिक लिंक्स हैं, पर उनका कहीं कोई विवरण उपलब्ध नहीं है. प्रभात खबर ने निर्मल बाबा के बारे में कई जानकारियां हासिल की, पर निर्मलजीत से निर्मल बाबा कैसे बने, यह आज भी रहस्य है.

जानिये बाबा को : निर्मल बाबा दो भाई हैं. बड़े भाई मंजीत सिंह अभी लुधियाना में रहते हैं. निर्मल बाबा छोटे हैं. पटियाला के सामना गांव के रहनेवाले. 1947 में देश के बंटवारे के समय निर्मल बाबा का परिवार भारत आ गया था. बाबा शादी-शुदा हैं. एक पुत्र और एक पुत्री हैं उनकी. मेदिनीनगर (झारखंड) के दिलीप सिंह बग्गा की तीसरी बेटी से उनकी शादी हुई. चतरा के सांसद और झारखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी के छोटे साले हैं ये. बकौल श्री नामधारी, 1964 में जब उनकी शादी हुई, तो निर्मल 13-14 वर्ष के थे.

1970-71 में वह मेदिनीनगर (तब डालटनगंज) आये और 81-82 तक वह यहां रहे. रांची में भी उनका मकान था. पर 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगे के बाद उन्होंने रांची का मकान बेच दिया और चले गये. रांची के पिस्का मोड़ स्थित पेट्रोल पंप के पास उनका मकान था.

झारखंड से रिश्ता : निर्मल बाबा का झारखंड से पुराना रिश्ता रहा है. खास कर पलामू प्रमंडल से. 1981-82 में वह मेदिनीनगर (तब डालटनगंज) में रह कर व्यवसाय करते थे. चैनपुर थाना क्षेत्र के कंकारी में उनका ईंट-भट्ठा भी हुआ करता था, जो निर्मल ईंट के नाम से चलता था.

उन्हें जाननेवाले कहते हैं : निर्मल का व्यवसाय ठीक नहीं चलता था. तब उनके ससुरालवाले मेदिनीनगर में ही रहते थे. हालांकि अभी उनकी ससुराल का कोई भी सदस्य मेदिनीनगर में नहीं रहता. उनके (निर्मल बाबा के) साले गुरमीत सिंह अरोड़ा उर्फ बबलू का लाईम स्टोन और ट्रांसपोर्ट का कारोबार हुआ करता था.

बबलू के मित्र सुमन जी कहते हैं : चूंकि बबलू से मित्रता थी, इसलिए निर्मल जी को जानने का मौका मिला था. वह व्यवसाय कर रहे थे. कुछ दिनों तक गढ़वा में रह कर भी उन्होंने व्यवसाय किया था. वहां कपड़ा का बिजनेस किया. पर उसमें भी नाकाम रहे. बहरागोड़ा इलाके में कुछ दिनों तक माइनिंग का ठेका भी लिया. कहते हैं..बहरागोड़ा में ही बाबा को आत्मज्ञान मिला. इसके बाद से ही वह अध्यात्म की ओर मुड़ गये. वैसे मेदिनीनगर से जाने के बाद कम लोगों से ही उनकी मुलाकात हुई है. जब उनके बारे में लोगों ने जाना, तब यह चर्चा हो रही है. उन्हें जाननेवाले लोग कहते हैं कि यह चमत्कार कैसे हुआ, उनलोगों को कुछ भी पता नहीं.

 हां, निर्मल बाबा मेरे साले हैं : नामधारी

- निर्मल बाबा आपके रिश्तेदार हैं?

-- हां यह सही है, काफी लोग पूछते हैं, इसके बारे में. मैं स्पष्ट कर दूं कि वह मेरे साले हैं.

- कुछ बतायें, उनके बारे में.

--
1964 में जब मेरी शादी हुई थी, तो उस वक्त निर्मल 13-14 साल के थे. पहले ही पिता की हत्या हो गयी थी. इसलिए उनकी मां (मेरी सास) ने कहा था कि इसे उधर ही ले जाकर कुछ व्यवसाय करायें. 1970-71 में वह मेदिनीनगर (तब डालटनगंज) आये. 1981-82 तक रहे, उसके बाद रांची में 1984 तक रहे. उसी वर्ष रांची का मकान बेच कर दिल्ली लौट गये. 1998-99 में बहरागोड़ा में माइंस की ठेकेदारी ली थी. इसी क्रम में उन्हें कोई आत्मज्ञान प्राप्त हुआ. इसके बाद वह अध्यात्म की तरफ मुड़ गये. बस इतना ही जानता हूं, उनके बारे में.

-क्या आइडिया है, निर्मल बाबा के बारे में.

--
देखिए उनके लाखों श्रद्धालु हैं. लोग उनमें आस्था रखते हैं. वैसे कई मुद्दों पर मेरी मतभिन्नता है उनके साथ.

- किस मुद्दे पर है मतभिन्नता.

--
देखिए, मैं कहता हूं कि ईश्वरीय कृपा से यदि कोई शक्ति मिली है, तो उसका उपयोग जनकल्याण में होना चाहिए. बात अगर निर्मल बाबा की ही करें, तो आज जिस मुकाम पर वह हैं, वह अगर जंगल में भी रहें, तो श्रद्धालु पहुंचेंगे. तो फिर प्रचार क्यों? पैसा देकर ख्याति बटोर कर क्या करना है? जनकल्याण में अधिक लोगों का भला हो. गुरुनानक के शब्दों में कहें, तो करामात, कहर का दूसरा नाम है. यह दुनिया दुखों का सागर है. यदि आज आप करामात दिखा रहे हैं. तो स्वाभाविक है कि लोगों की अपेक्षा बढ़ेगी, लंबे समय तक किसी की अपेक्षा के अनुरूप काम करना संभव नहीं है. मेरी नजर में यह काम शेर पर सवारी करने जैसा है. इसलिए मैं कहता हूं कि टीवी के माध्यम से जो प्रचार हो रहा है, उससे अलग राह भी बनानी चाहिए. हालांकि कुछ लोग इस विचार पर आपत्ति भी जताते हैं. चूंकि हमारा रिश्ता है, इसलिए हम सलाह देते हैं. जनता के कल्याण का दूसरा रास्ता भी हो.

- क्या व्यक्तिगत तौर पर मिल कर सलाह दी है?

--
हां, जब मुलाकात हुई है, तो इस बात पर चर्चा हुई है. उनके अपने तर्क होते हैं और मेरे अपने. चूंकि रिश्तेदारी हैं, तो छूटती नहीं. मेरे मन में जो कुछ चलता है, व्यक्त कर देता हूं. वह आस्था के केंद्र हैं. ईश्वरीय कृपा से वह लोगों को भला कर रहे हैं. उनके आत्मज्ञान का लाभ अधिक लोग उठा सकें, यही मेरी कामना है. इस दृष्टिकोण से ही मैं सलाह देता हूं.

कुछ अन्‍य जानकारियां -
- 30 लाख से भी अधिक रिजल्टस गूगल सर्च में
- 3.48 लाख लाइक करनेवाले फेसबुक पर
- 40 हजारसे अधिक ट्विटर पर फालो करनेवाले
- 36 चैनलों पर देश-विदेश में प्रसारण
- 22 घंटे रोज होता है इन चैनलों पर प्रसारण

-सरेआम जालसाजी कर रहा है?
-फेसबुक पर कई टिप्पणियां : बाबा का फेसबुक अकाउंट देखेंगे, तो उस पर टिप्पणी करनेवालों की संख्या हजारों में है. संभवत: किसी एक व्यक्ति के अकाउंट में सबसे ज्यादा कमेंट. तारीफें भी हैं, खिलाफ भी. ऐसे ही एक फेसबुकिया मित्र धन बहादुर थापा ने टिप्पणी की है..

बाबा कहते हैं कि पूजा में भावना होनी चाहिए, लेकिन जब बिहार की एक महिला को देखते ही उन्होंने कहा : तुम छठ पूजा करती हो. वह बोली, हां बाबा करती हूं. बाबा ने पूछा, कितने रुपये का सूप इस्तेमाल करती हो. वह बोली 10-12 रुपये का. बाबा ने कहा : बताओ 10-12 रुपये के सूप से भला कृपा कैसे आयेगी, तुम 30 रुपये का सूप इस्तेमाल करो. कृपा आनी शुरू हो जायेगी.

बात यहीं खत्म नहीं हुई. एक महिला भक्त को उन्होंने पहले समागम में बताया था कि शिव मंदिर में दर्शन करना और कुछ चढ़ावा जरूर चढ़ाना. अब दोबारा समागम में आयी उस महिला ने कहा : मैंने मंदिर में चढ़ावा भी चढ़ाया, लेकिन मेरी दिक्कत दूर नहीं हुई. बाबा बोले, कितने पैसे चढ़ाये, उसने कहा कि 10 रुपये. बाबा ने फिर हंसते हुए कहा कि 10 रुपये में कृपा कहां मिलती है, अब 40 रुपये चढ़ाना, देखना कृपा आनी शुरू हो जायेगी.

अब देखिए, इस महिला को बाबा ने ज्यादा पैसे चढ़ाने का ज्ञान दिया, जबकि एक दूसरी महिला दिल्ली से उनके पास पहुंची, बाबा उसे देखते ही पहचान गये और पूछे, शिव मंदिर में चढ़ावा चढ़ाया या नहीं. बोली, हां बाबा चढ़ा दिया. बाबा ने पूछा, कितना चढ़ाया, वह बोली, आपने 50 रुपये कहा था, वो मैंने चढ़ा दिया. और मंदिर परिसर में ही जो छोटे-छोटे मंदिर थे, वहां 10- पांच रुपये चढ़ा दिये. बस बाबा को मौका मिल गया, बोले, फिर कैसे कृपा आनी शुरू होगी, 50 कहा, तो 50 ही चढ़ाना था ना, दूसरे मंदिर में क्यों चली गयी. बस फिर जाओ और 50 ही चढ़ाना.

क्या मुश्किल है, ज्यादा चढ़ा दो, तो भी कृपा रुक जाती है, कम चढ़ाओ, तो कृपा शुरू ही नहीं होती है. निर्मल बाबा ऐसा आप ही कर सकते हो, आपके चरणों में पूरे परिवार का कोटि-कोटि प्रणाम. एक भक्त को बाबा ने भैरो बाबा का दर्शन करने को कहा. वह भक्त माता वैष्णो देवी पहुंचा और वहां माता के दर्शन के बाद और ऊपर चढ़ाई करके बाबा भैरोनाथ का दर्शन कर आया. बाद में फिर बाबा के पास पहुंचा और बताया कि मैंने भैरो बाबा के दर्शन कर लिये, लेकिन कृपा तो फिर भी शुरू नहीं हुई. बाबा ने पूछा, कहां दर्शन किये, वह बोला, माता वैष्णो देवीवाले भैरो बाबा का. बाबा ने कहा : यही गड़बड़ है, तुम्हें तो दिल्ली वाले भैरो बाबा का दर्शन करना था. अब बताओ, जिस बाबा ने कृपा रोक रखी है, उनके दर्शन न करके, इधर-उधर भटकते रहोगे, तो कृपा कैसे चालू होगी. भक्त बेचारा खामोश हो गया. यह सब जालसाली नहीं, तो क्या है?

लखनऊ कोर्ट का आदेश, निर्मल बाबा के खिलाफ दर्ज हो केस

लखनऊ| उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में निर्मल बाबा के खिलाफ केस दर्ज करवाने पहुंचे बच्चों की मेहनत बुधवार को आखिर रंग ले ही आई| राज्य पुलिस द्वारा इन बच्चों की शिकायत पर मामला दर्ज न होने की स्थिति में अदालत पहुंचे बच्चों की याचिका पर सुनवाई करते हुए लखनऊ सीजेएम कोर्ट ने पुलिस को निर्मल बाबा के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दे दिए|

आपको बता दें कि तनया (12वीं कक्षा) और आदित्य (10वीं कक्षा) ने 11 अप्रैल को राजधानी के गोमती नगर थाने में निर्मल बाबा के खिलाफ धर्म के नाम पर लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने की शिकायत दर्ज करवाने के लिए प्रार्थनाप्रत्र दिया था| इन बच्चों ने बाबा के खिलाफ 417, 419, 420 तथा 508 आईपीसी में मुकदमे के लिए एक प्रार्थनापत्र दिया था, लेकिन थानाध्यक्ष ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया| थानाध्यक्ष का कहना है कि ये मामला बाहर का है इसलिए यहां पर मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता| तनया व आदित्य यूपी कैडर के आईपीएस अमिताभ ठाकुर व समाजसेविका नूतन ठाकुर के बच्चे हैं|

पुलिस द्वारा बच्चों की शिकायत को नकारे जाने के बाद इन बच्चों ने अदालत की शरण ली थी| अदालत ने बच्चों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी पुलिस को मामला दर्ज करने का आदेश दिया है|

संतई छोड़ संतों की बदनामी की वजह बने ये बाबा

नई दिल्ली| साधु-संत शब्द कान में पड़ते ही कबीरदास जी का एक दोहा याद आ जाता है उन्होंने कहा कि "संत न छोड़े संतई, कौटिक मिले असंत| चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग||" संतों के आचरण के संबंध में सदियों से प्रचलित इस दोहे को आज के संतों ने नकार दिया है| आज के साधू-संत की बात करे तो वे किसी भी तरह से अपनी जेबें भरने में जुटे हुए हैं| इनकी प्रॉपर्टी और बैंक बैलेंस का मुकाबला कुबेरपति भी नहीं कर सकते| भक्तों के बीच ये ऐसे महात्मा हैं जिनका महात्म विवादों में उलझ कर रह गया है। ये मोह माया छोड़ने का आह्वान करते हैं खुद गले तक मोह और माया में जकड़े हैं। इतना ही नहीं धर्म के नाम पर धंधे की शुरूआत करने वाले कई साधु देह व्यापार तक अपनी पहुंच बना लिए हैं।

स्वामी नित्यानंद-

हम बात करते हैं भक्तों को आस्था का पाठ पढ़ाने वाले स्वामी नित्यानंद की| कर्नाटक सीआईडी ने स्वामी नित्यानंद के खिलाफ एक चार्जशीट दाखिल किया था इसमें दावा किया गया कि नित्यानंद ने महिलाओं के अलावा अपने एक विदेशी भक्त के साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाए हैं। कर्नाटक के बिदादी आश्रम के अलावा अमेरिका में कुछ शहरों में उन्होंने अपने इस भक्त के साथ अप्राकृतिक सेक्स संबंध बनाए थे।

सीआईडी ​​द्वारा दाखिल चार्जशीट में साफ कहा गया है कि सबूतों में यह बात सामने आई है कि नित्यानंद अप्राकृतिक सेक्स भी करते थे। अधिकारियों के मुताबिक, यह नित्यानंद केस में यह पहला मामला है जब किसी पुरूष भक्त ने एफआईआर दर्ज कराई है। शिकायतकर्ता वर्तमान में अमेरिका में रहता है। उसने कहा है कि स्वामी ने अपने आश्रम में कम से कम छह बार उसके साथ कुकर्म किया था।

निर्मल बाबा-

हजारों भक्तों की परेशानियों को खट्टी- मीठी चटनी, समोसा और गोलगप्पों से दूर करने वाले निर्मल बाबा आज एक विवादित हस्ती बन चुके हैं| उनके खिलाफ देशभर में लगभग एक दर्जन लिखित शिकायतें दी जा चुकीं है| कृपा का कारोबार करने वाले निर्मल बाबा के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवाने वालों की गिनती में लगातार इजाफा हो रहा है|

अपनी तीसरी आंख से दुनिया देखने वाले और हाथ उठाकर लोगों पर कृपा की बारिश करने वाले निर्मल बाबा की जिन्दगी में अब कुछ भी सामान्य नहीं रहा है| उनकी मुसीबतें कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है| जहाँ लोग उनके खिलाफ शिकायत लेकर थाने पहुंच रहे हैं तो वहीँ एक के बाद एक हो रहे खुलासे से बाबा की कृपा के कारोबार में तेजी से गिरावट हो रही है|

अपने समागमनों में पहुँचाने वाले दर्शनार्थियों से 2000 हज़ार रुपये प्रतिव्यक्ति का शुल्क लेने वाले बाबा पर लक्ष्मी की कुछ ऐसी कृपा हुई कि बाबा दिल्ली के सबसे रिहायसी इलाके ग्रेटर कैलाश के वासिंदे हो गए| बाबा अपने भक्तों से प्रति माह तकरीबन 7 करोड़ रुपये केवल बतौर दर्शन शुल्क से कमाते हैं| जिस पर वह आयकर देने की बात भी कहते है, लेकिन इसका कोई सार्वजानिक प्रमाण बाबा ने आज तक पेश नहीं किया|

एक अध्यात्मिक गुरु होने के नाते बाबा देश के अन्य सन्यासियों या धर्मगुरुओं की तरह कोई समाजसेवी संस्था भी नहीं चलाते हैं जिसमें वह इस सार्वजानिक तौर पर आय की गई धनराशि का निवेश करते हों|

आसाराम बापू-

संसार का सार परमात्मा का आनंद बताने वाले संत आसाराम बापू की बात की जाए तो यह भी विवादों से अछूते नहीं हैं| आपको बता दें कि आसाराम बापू के आश्रम में दो बच्चों की संदिग्ध मौत का मामला काफी विवादों में रहा। यही नहीं अपने एक चेले को मरवाने के लिए सुपारी देने के आरोप भी बाबा पर लगे। उनका बेटा नारायण साई भी उनके साथ हिम्मतनगर में जमीन घोटाले में आरोपी है।

इतना ही नहीं एक तांत्रिक ने बापू पर आरोप लगाया कि बापू ने गुजरात के एक अखबार के मालिक के बेटे समेत छह लोगों की काले जादू से हत्या करने की सुपारी दी थी।

सुधांशु जी महाराज-

अब हम बात करते हैं सुधांशु जी महाराज की, जो दुनिया को मोह माया त्याग कर आध्यात्म अपनाने का ज्ञान देते है लेकिन खुद धोखाधड़ी कर अपनी जेब भरने में जुटे हुए हैं| इन पर आरोप है कि उनके विश्व जागृति मिशन संस्थान ने चंदे पर आयकर छूट दिलाने के नाम पर लोगों को ठगा। महाराज आयकर छूट के जाली प्रमाणपत्र के जरिए लोगों को दान देने के लिए उकसाते थे।

अगर सूत्रों की माने तो उनका कहना है कि मुंबई के एक उद्योगपति भक्त ने मिशन को 53 लाख रूपए दान किए और जब वो आयकर छूट लेने पहुंचा तो पता चला कि आयकर छूट का प्रमाणपत्र जाली है। आयकर विभाग के मुताबिक, विश्व जाग्रति मिशन को वर्ष 1999 से 2008 के बीच 80(G) सर्टिफिकेट दिया ही नहीं गया। मिशन ने 80(G) सर्टिफिकेट की जो कापियां लोगों को दीं, वो फर्जी हैं। 80(G) के तहत दानदाता को 50 फीसदी तक की छूट मिलती है। यही नहीं, आयकर विभाग ने साफ किया की विश्व जागृति मिशन को आयकर के तहत छूट मिल भी नहीं सकती क्योंकि संस्था का पंजीकरण आयकर की धारा 12(A) के तहत कराया ही नहीं गया।

तो यह आज के इन बाबाओं का हाल|

स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि अगर आपको अपने ऊपर विश्वास है तो आप आस्तिक हो, लेकिन अगर आपको अपने ऊपर ही विश्वास नहीं है तो आप नास्तिक हो लेकिन वर्तमान समाज में इसके ठीक विपरीत है। आज अगर आप किसी बाबा को नहीं मानते तो आपको नास्तिक कहा जाता है। भारत के पतन की कहानी भी अंधविश्वास और भाग्यवाद के सहारे ही लिखी गई। भारत का इतिहास शौर्य, वीरता और कर्म का है लेकिन हम इन गुणों को छोड़कर केवल और केवल भाग्यवादी बनकर रह गए हैं। और इसी का परिणाम है इन बाबाओं की फौज। चीन में एक कहावत है कि जब तक धरती पर लालच जिंदा है, ठग भूखे नहीं मर सकते। जब तक हम अपने अंदर के लालच को नहीं मारते, ये बाबा इसी तरह भोली-भाले लोगों को ठगते रहेंगे।

नोट:- यह खबर किसी आध्यात्म गुरु या संत के अनुयायियों की व्यक्तिगत भावनाओं को ठेस पहुँचाने के उद्देश्य से नहीं लिखी गई है, यदि इससे किसी पाठक की व्यक्तिगत भावना को ठेस पहुंचती है तो हम उसके लिए क्षमा याची है|