Wednesday, May 9, 2012

संतई छोड़ संतों की बदनामी की वजह बने ये बाबा

नई दिल्ली| साधु-संत शब्द कान में पड़ते ही कबीरदास जी का एक दोहा याद आ जाता है उन्होंने कहा कि "संत न छोड़े संतई, कौटिक मिले असंत| चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग||" संतों के आचरण के संबंध में सदियों से प्रचलित इस दोहे को आज के संतों ने नकार दिया है| आज के साधू-संत की बात करे तो वे किसी भी तरह से अपनी जेबें भरने में जुटे हुए हैं| इनकी प्रॉपर्टी और बैंक बैलेंस का मुकाबला कुबेरपति भी नहीं कर सकते| भक्तों के बीच ये ऐसे महात्मा हैं जिनका महात्म विवादों में उलझ कर रह गया है। ये मोह माया छोड़ने का आह्वान करते हैं खुद गले तक मोह और माया में जकड़े हैं। इतना ही नहीं धर्म के नाम पर धंधे की शुरूआत करने वाले कई साधु देह व्यापार तक अपनी पहुंच बना लिए हैं।

स्वामी नित्यानंद-

हम बात करते हैं भक्तों को आस्था का पाठ पढ़ाने वाले स्वामी नित्यानंद की| कर्नाटक सीआईडी ने स्वामी नित्यानंद के खिलाफ एक चार्जशीट दाखिल किया था इसमें दावा किया गया कि नित्यानंद ने महिलाओं के अलावा अपने एक विदेशी भक्त के साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाए हैं। कर्नाटक के बिदादी आश्रम के अलावा अमेरिका में कुछ शहरों में उन्होंने अपने इस भक्त के साथ अप्राकृतिक सेक्स संबंध बनाए थे।

सीआईडी ​​द्वारा दाखिल चार्जशीट में साफ कहा गया है कि सबूतों में यह बात सामने आई है कि नित्यानंद अप्राकृतिक सेक्स भी करते थे। अधिकारियों के मुताबिक, यह नित्यानंद केस में यह पहला मामला है जब किसी पुरूष भक्त ने एफआईआर दर्ज कराई है। शिकायतकर्ता वर्तमान में अमेरिका में रहता है। उसने कहा है कि स्वामी ने अपने आश्रम में कम से कम छह बार उसके साथ कुकर्म किया था।

निर्मल बाबा-

हजारों भक्तों की परेशानियों को खट्टी- मीठी चटनी, समोसा और गोलगप्पों से दूर करने वाले निर्मल बाबा आज एक विवादित हस्ती बन चुके हैं| उनके खिलाफ देशभर में लगभग एक दर्जन लिखित शिकायतें दी जा चुकीं है| कृपा का कारोबार करने वाले निर्मल बाबा के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवाने वालों की गिनती में लगातार इजाफा हो रहा है|

अपनी तीसरी आंख से दुनिया देखने वाले और हाथ उठाकर लोगों पर कृपा की बारिश करने वाले निर्मल बाबा की जिन्दगी में अब कुछ भी सामान्य नहीं रहा है| उनकी मुसीबतें कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है| जहाँ लोग उनके खिलाफ शिकायत लेकर थाने पहुंच रहे हैं तो वहीँ एक के बाद एक हो रहे खुलासे से बाबा की कृपा के कारोबार में तेजी से गिरावट हो रही है|

अपने समागमनों में पहुँचाने वाले दर्शनार्थियों से 2000 हज़ार रुपये प्रतिव्यक्ति का शुल्क लेने वाले बाबा पर लक्ष्मी की कुछ ऐसी कृपा हुई कि बाबा दिल्ली के सबसे रिहायसी इलाके ग्रेटर कैलाश के वासिंदे हो गए| बाबा अपने भक्तों से प्रति माह तकरीबन 7 करोड़ रुपये केवल बतौर दर्शन शुल्क से कमाते हैं| जिस पर वह आयकर देने की बात भी कहते है, लेकिन इसका कोई सार्वजानिक प्रमाण बाबा ने आज तक पेश नहीं किया|

एक अध्यात्मिक गुरु होने के नाते बाबा देश के अन्य सन्यासियों या धर्मगुरुओं की तरह कोई समाजसेवी संस्था भी नहीं चलाते हैं जिसमें वह इस सार्वजानिक तौर पर आय की गई धनराशि का निवेश करते हों|

आसाराम बापू-

संसार का सार परमात्मा का आनंद बताने वाले संत आसाराम बापू की बात की जाए तो यह भी विवादों से अछूते नहीं हैं| आपको बता दें कि आसाराम बापू के आश्रम में दो बच्चों की संदिग्ध मौत का मामला काफी विवादों में रहा। यही नहीं अपने एक चेले को मरवाने के लिए सुपारी देने के आरोप भी बाबा पर लगे। उनका बेटा नारायण साई भी उनके साथ हिम्मतनगर में जमीन घोटाले में आरोपी है।

इतना ही नहीं एक तांत्रिक ने बापू पर आरोप लगाया कि बापू ने गुजरात के एक अखबार के मालिक के बेटे समेत छह लोगों की काले जादू से हत्या करने की सुपारी दी थी।

सुधांशु जी महाराज-

अब हम बात करते हैं सुधांशु जी महाराज की, जो दुनिया को मोह माया त्याग कर आध्यात्म अपनाने का ज्ञान देते है लेकिन खुद धोखाधड़ी कर अपनी जेब भरने में जुटे हुए हैं| इन पर आरोप है कि उनके विश्व जागृति मिशन संस्थान ने चंदे पर आयकर छूट दिलाने के नाम पर लोगों को ठगा। महाराज आयकर छूट के जाली प्रमाणपत्र के जरिए लोगों को दान देने के लिए उकसाते थे।

अगर सूत्रों की माने तो उनका कहना है कि मुंबई के एक उद्योगपति भक्त ने मिशन को 53 लाख रूपए दान किए और जब वो आयकर छूट लेने पहुंचा तो पता चला कि आयकर छूट का प्रमाणपत्र जाली है। आयकर विभाग के मुताबिक, विश्व जाग्रति मिशन को वर्ष 1999 से 2008 के बीच 80(G) सर्टिफिकेट दिया ही नहीं गया। मिशन ने 80(G) सर्टिफिकेट की जो कापियां लोगों को दीं, वो फर्जी हैं। 80(G) के तहत दानदाता को 50 फीसदी तक की छूट मिलती है। यही नहीं, आयकर विभाग ने साफ किया की विश्व जागृति मिशन को आयकर के तहत छूट मिल भी नहीं सकती क्योंकि संस्था का पंजीकरण आयकर की धारा 12(A) के तहत कराया ही नहीं गया।

तो यह आज के इन बाबाओं का हाल|

स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि अगर आपको अपने ऊपर विश्वास है तो आप आस्तिक हो, लेकिन अगर आपको अपने ऊपर ही विश्वास नहीं है तो आप नास्तिक हो लेकिन वर्तमान समाज में इसके ठीक विपरीत है। आज अगर आप किसी बाबा को नहीं मानते तो आपको नास्तिक कहा जाता है। भारत के पतन की कहानी भी अंधविश्वास और भाग्यवाद के सहारे ही लिखी गई। भारत का इतिहास शौर्य, वीरता और कर्म का है लेकिन हम इन गुणों को छोड़कर केवल और केवल भाग्यवादी बनकर रह गए हैं। और इसी का परिणाम है इन बाबाओं की फौज। चीन में एक कहावत है कि जब तक धरती पर लालच जिंदा है, ठग भूखे नहीं मर सकते। जब तक हम अपने अंदर के लालच को नहीं मारते, ये बाबा इसी तरह भोली-भाले लोगों को ठगते रहेंगे।

नोट:- यह खबर किसी आध्यात्म गुरु या संत के अनुयायियों की व्यक्तिगत भावनाओं को ठेस पहुँचाने के उद्देश्य से नहीं लिखी गई है, यदि इससे किसी पाठक की व्यक्तिगत भावना को ठेस पहुंचती है तो हम उसके लिए क्षमा याची है|

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