आजतक न्यूज चैनल ने निर्मल बाबा पर लग रहे आरोपों का जवाब निर्मल बाबा से ही मांगा. अभिसार शर्मा ने निर्मल बाबा से ढेर सारे सवाल किए. और बाबा ने कृपा कृपा कहते हुए सबका जवाब देने की कोशिश की. बाबा ने कुछ बड़ी मार्के की बातें कहीं. बाबा ने साफ कहा कि वे पैसा क्यों न इकट्ठा करें क्योंकि इसी पैसे से तो चैनलों पर उनका प्रवचन चलता है, उनका पेड प्रोग्राम दिखाया जाता है. मतलब साफ है कि बाबा ने यह आइना चैनलों को दिखा दिया है कि हे चैनल वालों, तुम्हीं ने पैसे के लालच में हमको पैदा किया और अब हम हैं की तुम्हारे साख और सरोकार के लिए संकट बन चुके हैं. कुछ उसी तरह जैसे अफगानिस्तान में तालिबान को अमेरिका ने पैदा किया, रूस को निपटाने के चक्कर में और फिर वही तालिबान अमेरिका के लिए बवाल-ए-जान बन गए. कुछ उसी तरह जैसे पंजाब में इंदिरा गांधी ने भिंडरवाले को पैदा किया, राजनीति के चक्कर में और वही भिंडरवाले इंदिरा गांधी के जान जाने का कारण बन बैठा.
पैसे के लालच में न्यूज चैनलों ने अपनी आत्मा को खूंटी पर टांग दिया और सब कुछ देख सुनकर भी कि यह अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाला फर्जी प्रोग्राम है, बिना किसी डेस्क्लेमर और चेतावनी के निर्मल दरबार को सजाए रखा. सोशल मीडिया और न्यू मीडिया (इंटरनेट, ब्लाग, वेबसाइट, पोर्टल, मोबाइल आदि) ने जब बाबा और चैनलों के परखच्चे उड़ाने शुरू किए तो देर से सब न्यूज चैनल जागे. शुरुआत की मुकेश कुमार के नेतृत्व में वाले न्यूज एक्सप्रेस ने. फिर स्टार न्यूज की आत्मा जंगी और बाबा के पिछवाड़े एक लात देकर उनके सच का बयान करना शुरू किया. फिर साधना न्यूज समेत कई चैनलों ने बाबा की पोल खोल शुरू की. अखबारों में प्रभात खबर सीरिज में बाबा की पोल खोल कर आम जन को जागरूक कर रहा है. इस कड़ी में आजतक वालों की आत्मा काफी देर से जगी. चूंकि वे सबसे आगे सबसे तेज खुद को बताते हैं इसलिए पहुंच गए बाबा का इंटरव्यू लेने. कुछ विघ्नसंतोषी यह कहने से भी नहीं चूक रहे कि इस काम के लिए भी आजतक ने बाबा से डील की होगी, कि हे बाबा, आरोप बहुत तगड़े तगड़े लग रहे हैं और तुम फंसते जा रहे हो, अच्छा ये होगा कि सामने आ जाओ, हम तुम्हारे आगे सारे आरोप रखेंगे और तुम जवाब देते जाना ताकि तुम्हारी दुकान उजड़ने से बच सके और तुम्हारे भक्त तुम्हारे मुंह से सच सुन सकें. डरे हुए बाबा करें क्या, सो नंबर वन चैनल के स्क्रीन पर आने के लिए प्रकट हो गए. पर्दे पीछे क्या डील हुई होगी, भगवान जानें लेकिन बाबा ने आजतक पर आकर सबको मीडिया का सच तो बता ही दिया. अभिसार शर्मा ने बार बार पूछा कि इतने पैसे का करेंगे क्या, इतने पैसे क्यों जरूरी हैं आपके लिए. तब बाबा ने साफ कहा कि जिस आडिटोरियम में प्रोग्राम करते हैं उसका खर्च कहां से निकलेगा, तीस चैनलों पर जो हमारा पेड प्रोग्राम चलता है, उसका पैसा कहां से आएगा, मीडिया को जो पैसे देने होते हैं वो कहां से आएगा.... इस जवाब के बाद अभिसार की बोलती बंद हो गई. बाबा ने तो यहां तक कह दिया कि अगर आप फ्री में प्रोग्राम मेरा दिखाने का वादा करो तो मैं पैसे लेना बंद कर देता हूं. अभिसार बेचारे क्या बोलें. उनके मालिक अरुण पुरी जिन्हें मीडिया पुरी भी माना जाता है, आजकल मार्केटिंग पुरी हो चुके हैं और पैसे के लिए पगलाए रहते हैं. इसी कारण उनके अंदर का जर्नलिस्ट वाला तत्व पूरी तरह खत्म हो चुका है. उनका पूरा ध्यान निवेश, पैसा, मार्केटिंग, रेवेन्यू, टीआरपी आदि पर ही रहता है, उनका इस बात से कोई लेना देना नहीं कि आखिर वे अपने चैनल के जरिए जिस राक्षस का निर्माण कर रहे हैं वह समाज को कितना नुकसान पहुंचा रहा है. अभिसार ने कई सवाल बहुत कायदे के पूछे. जैसे कि इस देश में अस्सी फीसदी जनता बेहद मुश्किलों में जीती है, उसके कष्ट चमत्कार कृपा से कैसे दूर हो सकेंगे, और आपके यहां तो वही आ पा रहा है जो पैसे वाला है, जो पैसे देने की ताकत रखता है, तो कहीं यह पूरा खेल पैसे का तो नहीं. उन्होंने स्प्रिचुवल फिक्सिंग (किसी आर्टिस्ट को पैसे देकर सवाल पूछने के लिए प्रायोजित करने की घटना) पर सवाल उठाए, उन्होंने अनाप शनाप तरीके से इलाज किए जाने की बात उठाई. बाबा किसी सवाल का कायदे से जवाब नहीं दे पाया, वह बस कृपा और शक्तियां जैसी लंतरानी पेलता रहा. आजतक ने बाबा के इंटरव्यू को कुछ इस तरह पेश किया जैसे वह बहुत बड़ी परिघटना हो. एक्सक्लूसिव और टीवी पर बाबा का पहली बार इंटरव्यू आदि के बड़े बड़े बोर्ड स्क्रीन पर सजाकर और बाबा का आशीर्वाद की मुद्रा में उठे हाथ का लोगो लगातार दिखाकर आजतक ने बाबा का महिमामंडन ही किया. यह फ्राड बाबा आजतक पर प्रसारित इंटरव्यू के बाद कामन मैन की नजर में बाबा रामदेव और अन्ना हजारे टाइप का हो गया है. कहने वाले कहते हैं कि यह बाबा कांग्रेस के एक नेता के दिमाग की उपज है. लोग उस नेता का नाम भी बताते हैं. सुबोधकांत सहाय. कहने वाले कहते हैं कि बाबा को ऐसा सब करने का आइडिया सुबोधकांत सहाय ने ही दिया था और उन्होंने ही सारे रास्ते सुझाए बताए. अब यह बड़ा हो चुका बाबा कांग्रेस को कभी आशीर्वाद देता दिख जाए या अन्ना या रामदेव को उखाड़ने के लिए सामने टक्कर लेने को ताल ठोंकता नजर आ जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी. और यह सब न भी होगा तो बाबा कई सारी सीटें जितवाने के लिए वोटों को इधर उधर कराने की ताकत तो रखता ही है क्योंकि देश में अंध श्रद्धा और गरीबी इस कदर है कि लोग किसी चमत्कार की उम्मीद में बाबा के कहे अनुसार कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. फिलहाल यह सच है कि इस देश के हिंदी न्यूज चैनलों ने पैसे व टीआरपी के लालच में एक ऐसा जिन्न तैयार कर दिया है जिसने देश के करोड़ों लोगों की चेतना पर अंधविश्वास का ऐसा पर्दा डाल दिया है जिसे हाल फिलहाल उतार कर फेंक पाना मुश्किल होगा.
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पैसे के लालच में न्यूज चैनलों ने अपनी आत्मा को खूंटी पर टांग दिया और सब कुछ देख सुनकर भी कि यह अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाला फर्जी प्रोग्राम है, बिना किसी डेस्क्लेमर और चेतावनी के निर्मल दरबार को सजाए रखा. सोशल मीडिया और न्यू मीडिया (इंटरनेट, ब्लाग, वेबसाइट, पोर्टल, मोबाइल आदि) ने जब बाबा और चैनलों के परखच्चे उड़ाने शुरू किए तो देर से सब न्यूज चैनल जागे. शुरुआत की मुकेश कुमार के नेतृत्व में वाले न्यूज एक्सप्रेस ने. फिर स्टार न्यूज की आत्मा जंगी और बाबा के पिछवाड़े एक लात देकर उनके सच का बयान करना शुरू किया. फिर साधना न्यूज समेत कई चैनलों ने बाबा की पोल खोल शुरू की. अखबारों में प्रभात खबर सीरिज में बाबा की पोल खोल कर आम जन को जागरूक कर रहा है. इस कड़ी में आजतक वालों की आत्मा काफी देर से जगी. चूंकि वे सबसे आगे सबसे तेज खुद को बताते हैं इसलिए पहुंच गए बाबा का इंटरव्यू लेने. कुछ विघ्नसंतोषी यह कहने से भी नहीं चूक रहे कि इस काम के लिए भी आजतक ने बाबा से डील की होगी, कि हे बाबा, आरोप बहुत तगड़े तगड़े लग रहे हैं और तुम फंसते जा रहे हो, अच्छा ये होगा कि सामने आ जाओ, हम तुम्हारे आगे सारे आरोप रखेंगे और तुम जवाब देते जाना ताकि तुम्हारी दुकान उजड़ने से बच सके और तुम्हारे भक्त तुम्हारे मुंह से सच सुन सकें. डरे हुए बाबा करें क्या, सो नंबर वन चैनल के स्क्रीन पर आने के लिए प्रकट हो गए. पर्दे पीछे क्या डील हुई होगी, भगवान जानें लेकिन बाबा ने आजतक पर आकर सबको मीडिया का सच तो बता ही दिया. अभिसार शर्मा ने बार बार पूछा कि इतने पैसे का करेंगे क्या, इतने पैसे क्यों जरूरी हैं आपके लिए. तब बाबा ने साफ कहा कि जिस आडिटोरियम में प्रोग्राम करते हैं उसका खर्च कहां से निकलेगा, तीस चैनलों पर जो हमारा पेड प्रोग्राम चलता है, उसका पैसा कहां से आएगा, मीडिया को जो पैसे देने होते हैं वो कहां से आएगा.... इस जवाब के बाद अभिसार की बोलती बंद हो गई. बाबा ने तो यहां तक कह दिया कि अगर आप फ्री में प्रोग्राम मेरा दिखाने का वादा करो तो मैं पैसे लेना बंद कर देता हूं. अभिसार बेचारे क्या बोलें. उनके मालिक अरुण पुरी जिन्हें मीडिया पुरी भी माना जाता है, आजकल मार्केटिंग पुरी हो चुके हैं और पैसे के लिए पगलाए रहते हैं. इसी कारण उनके अंदर का जर्नलिस्ट वाला तत्व पूरी तरह खत्म हो चुका है. उनका पूरा ध्यान निवेश, पैसा, मार्केटिंग, रेवेन्यू, टीआरपी आदि पर ही रहता है, उनका इस बात से कोई लेना देना नहीं कि आखिर वे अपने चैनल के जरिए जिस राक्षस का निर्माण कर रहे हैं वह समाज को कितना नुकसान पहुंचा रहा है. अभिसार ने कई सवाल बहुत कायदे के पूछे. जैसे कि इस देश में अस्सी फीसदी जनता बेहद मुश्किलों में जीती है, उसके कष्ट चमत्कार कृपा से कैसे दूर हो सकेंगे, और आपके यहां तो वही आ पा रहा है जो पैसे वाला है, जो पैसे देने की ताकत रखता है, तो कहीं यह पूरा खेल पैसे का तो नहीं. उन्होंने स्प्रिचुवल फिक्सिंग (किसी आर्टिस्ट को पैसे देकर सवाल पूछने के लिए प्रायोजित करने की घटना) पर सवाल उठाए, उन्होंने अनाप शनाप तरीके से इलाज किए जाने की बात उठाई. बाबा किसी सवाल का कायदे से जवाब नहीं दे पाया, वह बस कृपा और शक्तियां जैसी लंतरानी पेलता रहा. आजतक ने बाबा के इंटरव्यू को कुछ इस तरह पेश किया जैसे वह बहुत बड़ी परिघटना हो. एक्सक्लूसिव और टीवी पर बाबा का पहली बार इंटरव्यू आदि के बड़े बड़े बोर्ड स्क्रीन पर सजाकर और बाबा का आशीर्वाद की मुद्रा में उठे हाथ का लोगो लगातार दिखाकर आजतक ने बाबा का महिमामंडन ही किया. यह फ्राड बाबा आजतक पर प्रसारित इंटरव्यू के बाद कामन मैन की नजर में बाबा रामदेव और अन्ना हजारे टाइप का हो गया है. कहने वाले कहते हैं कि यह बाबा कांग्रेस के एक नेता के दिमाग की उपज है. लोग उस नेता का नाम भी बताते हैं. सुबोधकांत सहाय. कहने वाले कहते हैं कि बाबा को ऐसा सब करने का आइडिया सुबोधकांत सहाय ने ही दिया था और उन्होंने ही सारे रास्ते सुझाए बताए. अब यह बड़ा हो चुका बाबा कांग्रेस को कभी आशीर्वाद देता दिख जाए या अन्ना या रामदेव को उखाड़ने के लिए सामने टक्कर लेने को ताल ठोंकता नजर आ जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी. और यह सब न भी होगा तो बाबा कई सारी सीटें जितवाने के लिए वोटों को इधर उधर कराने की ताकत तो रखता ही है क्योंकि देश में अंध श्रद्धा और गरीबी इस कदर है कि लोग किसी चमत्कार की उम्मीद में बाबा के कहे अनुसार कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. फिलहाल यह सच है कि इस देश के हिंदी न्यूज चैनलों ने पैसे व टीआरपी के लालच में एक ऐसा जिन्न तैयार कर दिया है जिसने देश के करोड़ों लोगों की चेतना पर अंधविश्वास का ऐसा पर्दा डाल दिया है जिसे हाल फिलहाल उतार कर फेंक पाना मुश्किल होगा.
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