निर्मल बाबा पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराने के लिए शिकायतों का अंबार लगता जा रहा है। ताजा शिकायत मेरठ की अदालत में दर्ज कराई गई है। निर्मल बाबा के भक्त रहे हरीशवीर सिंह का आरोप है कि निर्मल बाबा से मुलाकात के लिए उनसे 11 हजार रुपए लिए गए थे। यह रकम देने के बाद जब मुलाकात हुई तो उनसे कहा गया कि मीठी खीर खाने से दिक्कतें दूर हो जाएंगी। सिंह का कहना है कि ज्यादा खीर खाने से उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्होंने कहा कि वह डॉक्टर के पास गए तो पता चला कि उन्हें शुगर की बीमारी है।
बकौल सिंह, जब डॉक्टरी इलाज के बाद उनका स्वास्थ्य ठीक होने लगा तब निर्मल बाबा की ओर से उन्हें फोन आया और कहा गया कि आप समागम में आइये और अपने स्वस्थ होने की बात रखिए। लेकिन हरीश ने इंकार कर दिया। पेशे से लेक्चरर हरीश ने अब मेरठ कोर्ट में शिकायत देकर निर्मल बाबा के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की है। उनकी अर्जी पर एक मई को सुनवाई होगी।
मुजफ्फरपुर (बिहार) में सीजेएम कोर्ट में भी निर्मल बाबा के खिलाफ ऐसी ही शिकायत की गई है। सीजीएम ने प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी रंजुला भारती को जांच का आदेश देते हुए दो मई को मामले की अगली सुनवाई तय की है।
भोपाल में भी बाबा के खिलाफ शिकायत दर्ज हुई है। सिटी एसपी का कहना है कि अभी शिकायतकर्ता का पक्ष जाना गया है। हमने पुलिस को निर्देशित किया है कि पूरे मामले की जांच करे। फिर हम निर्मल बाबा का पक्ष जानने के लिए उन्हें नोटिस जारी करेंगे और जरूरत हुई तो उनसे पूछताछ भी करेंगे। हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि क्या वाकई निर्मल बाबा लोगों से धोखाधड़ी कर रहे हैं। हालांकि यूपी पुलिस ने बाबा को राहत देते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग ठुकरा दी है।
इस बीच, झारखंड के एक परिवार ने निर्मल जीत सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा पर भगोड़ा होने का आरोप लगाया है। झारखंड से प्रकाशित होने वाले अखबार ‘प्रभात खबर’ ने यह दावा किया है।
अखबार के मुताबिक निर्मल बाबा करीब एक साल तक पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा में रहे थे। यहां वह ज्योति पहाड़ी पर कायनाइट पत्थर का खनन करवाते थे। बहरागोड़ा में उन्होंने नागेंद्र नाथ राय के मकान में दो कमरे किराये पर लिया था।
लेकिन करीब एक साल रहने के बाद 1999 में वह कमरों में ताले लगा कर अचानक गायब हो गए। फिर कभी नहीं लौटे। उन्होंने पांच महीने का मकान भाड़ा भी नहीं चुकाया था।
ताला लगा कर गायब हो गए
अखबार के मुताबिक मकान मालिक नागेंद्र नाथ राय बताते हैं कि निर्मल बाबा ने 1998 में दो कमरा भाड़े पर लिया था। उस समय उन्हें सब निर्मल जीत सिंह के रूप में ही जानते थे। उनके साथ उनका एक सहयोगी भी रहता था। दोनों कमरों का भाड़ा तीन सौ रुपये निर्धारित किया गया था।
शुरुआत में निर्मल बाबा तय किराया चुकाते रहे। फिर कुछ आर्थिक परेशानी बता बाद में भाड़ा देने को कहा। उन्होंने पांच माह तक किराया नहीं चुकाया। इसके बाद 1999 में निर्मल बाबा और उनके सहयोगी दोनों कमरों में ताले लगा कर अचानक गायब हो गए।
अजमेर में पुतला फूंका
देश भर में निर्मल बाबा का विरोध हो रहा है। अजमेर में कांग्रेस पार्षद नौरत गुर्जर एवं युवक कांग्रेस लोकसभा क्षेत्र के महासचिव सर्वेश पारीक की अगुवाई में रविवार को युवा कार्यकर्ताओं ने निर्मल बाबा का पुतला फूंका। कार्यकर्ताओं ने धर्मप्रेमियों की भावना के साथ कुठाराघात करने पर आक्रोश जताया। कांग्रेस कार्यकर्ता पार्षद एवं महासचिव की अगुवाई में कलेक्ट्रेट पहुंचे। जहां पर बाबा के खिलाफ प्रदर्शन कर विरोध जताते हुए नारेबाजी की गई। बाद में पुतला फूंका(तस्वीर में)।
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बकौल सिंह, जब डॉक्टरी इलाज के बाद उनका स्वास्थ्य ठीक होने लगा तब निर्मल बाबा की ओर से उन्हें फोन आया और कहा गया कि आप समागम में आइये और अपने स्वस्थ होने की बात रखिए। लेकिन हरीश ने इंकार कर दिया। पेशे से लेक्चरर हरीश ने अब मेरठ कोर्ट में शिकायत देकर निर्मल बाबा के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की है। उनकी अर्जी पर एक मई को सुनवाई होगी।
मुजफ्फरपुर (बिहार) में सीजेएम कोर्ट में भी निर्मल बाबा के खिलाफ ऐसी ही शिकायत की गई है। सीजीएम ने प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी रंजुला भारती को जांच का आदेश देते हुए दो मई को मामले की अगली सुनवाई तय की है।
भोपाल में भी बाबा के खिलाफ शिकायत दर्ज हुई है। सिटी एसपी का कहना है कि अभी शिकायतकर्ता का पक्ष जाना गया है। हमने पुलिस को निर्देशित किया है कि पूरे मामले की जांच करे। फिर हम निर्मल बाबा का पक्ष जानने के लिए उन्हें नोटिस जारी करेंगे और जरूरत हुई तो उनसे पूछताछ भी करेंगे। हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि क्या वाकई निर्मल बाबा लोगों से धोखाधड़ी कर रहे हैं। हालांकि यूपी पुलिस ने बाबा को राहत देते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग ठुकरा दी है।
इस बीच, झारखंड के एक परिवार ने निर्मल जीत सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा पर भगोड़ा होने का आरोप लगाया है। झारखंड से प्रकाशित होने वाले अखबार ‘प्रभात खबर’ ने यह दावा किया है।
अखबार के मुताबिक निर्मल बाबा करीब एक साल तक पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा में रहे थे। यहां वह ज्योति पहाड़ी पर कायनाइट पत्थर का खनन करवाते थे। बहरागोड़ा में उन्होंने नागेंद्र नाथ राय के मकान में दो कमरे किराये पर लिया था।
लेकिन करीब एक साल रहने के बाद 1999 में वह कमरों में ताले लगा कर अचानक गायब हो गए। फिर कभी नहीं लौटे। उन्होंने पांच महीने का मकान भाड़ा भी नहीं चुकाया था।
ताला लगा कर गायब हो गए
अखबार के मुताबिक मकान मालिक नागेंद्र नाथ राय बताते हैं कि निर्मल बाबा ने 1998 में दो कमरा भाड़े पर लिया था। उस समय उन्हें सब निर्मल जीत सिंह के रूप में ही जानते थे। उनके साथ उनका एक सहयोगी भी रहता था। दोनों कमरों का भाड़ा तीन सौ रुपये निर्धारित किया गया था।
शुरुआत में निर्मल बाबा तय किराया चुकाते रहे। फिर कुछ आर्थिक परेशानी बता बाद में भाड़ा देने को कहा। उन्होंने पांच माह तक किराया नहीं चुकाया। इसके बाद 1999 में निर्मल बाबा और उनके सहयोगी दोनों कमरों में ताले लगा कर अचानक गायब हो गए।
अजमेर में पुतला फूंका
देश भर में निर्मल बाबा का विरोध हो रहा है। अजमेर में कांग्रेस पार्षद नौरत गुर्जर एवं युवक कांग्रेस लोकसभा क्षेत्र के महासचिव सर्वेश पारीक की अगुवाई में रविवार को युवा कार्यकर्ताओं ने निर्मल बाबा का पुतला फूंका। कार्यकर्ताओं ने धर्मप्रेमियों की भावना के साथ कुठाराघात करने पर आक्रोश जताया। कांग्रेस कार्यकर्ता पार्षद एवं महासचिव की अगुवाई में कलेक्ट्रेट पहुंचे। जहां पर बाबा के खिलाफ प्रदर्शन कर विरोध जताते हुए नारेबाजी की गई। बाद में पुतला फूंका(तस्वीर में)।
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