Friday, April 13, 2012

धंधा नहीं चला तो निर्मल बाबा बन गया

निर्मल बाबा की परत दर परत सच्चाई सामने आनी शुरू हो गयी है. निर्मल बाबा भले ही धर्म की धंधेबाजी के कारण अब चर्चा में आ रहा है लेकिन उसके एक रिश्तेदार इंदर सिंह नामधारी झारखण्ड के ईमानदार और रसूखवाले नेताओं में गिने जाते हैं. निर्मल सिंह इन्हीं इंदर सिंह नामधारी का सगा साला है. यानी नामधारी की पत्नी मलविन्दर कौर का सगा भाई.
निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा पहुंचे नामधारी झारखण्ड के दो बार विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उनके सामने निर्मल का नाम लेने पर कई राज खुलते हैं. मीडियादरबार के संचालक धीरज भारद्वाज निर्मल बाबा की खोजबीन के दौरान नामधारी से संपर्क करने में कामयाब हो गये और नामधारी ने भी बिना लाग लपेट के स्वीकार कर लिया कि वह उनका सगा साला है, लेकिन उसका जो कुछ भी काला है उससे उनका कोई लेना देना नहीं है. इंदर सिंह नामधारी कहते हैं कि वे खुद कई बार निर्मल को सलाह दे चुके हैं कि वह लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ न करे, लेकिन वह सुनता नहीं है.
नामधारी स्वीकार करते हैं कि शुरुआती दिनों में वे खुद निर्मल नरुला को अपना कैरीयर संवारने में खासी मदद कर चुके हैं। धीरज भारद्वाज से बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनके ससुर यानी निर्मल के पिता एसएस नरूला का काफी पहले देहांत हो चुका है और वे बेसहारा हुए निर्मल नरूला की मदद करने के लिए उसे अपने पास ले आए थे। लाइमस्टोन की ठेकेदारी से लेकर कपड़े के कारोबार तक निर्मल को कई छोटे-बड़े धंधों में सफलता नहीं मिली तो वह बाबा बन गया।

जब धीरज भारद्वाज ने नामधारी से निर्मल बाबा के विचारों और चमत्कारों के बारे में पूछा तो उन्होंने साफ कहा कि वे इससे जरा भी इत्तेफाक़ नहीं रखते। उन्होंने कहा कि वे विज्ञान के छात्र रहे हैं तथा इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी कर चुके हैं इसलिए ऐसे किसी भी चमत्कार पर भरोसा नहीं करते। इसके अलावा उनका धर्म भी इस तरह की बातें मानने का पक्षधर नहीं है।

”सिख धर्म के धर्मग्रथों में तो साफ कहा गया है कि करामात कहर का नाम है। इसका मतलब हुआ कि जो भी करामात कर अपनी शक्तियां दिखाने की कोशिश करता है वो धर्म के खिलाफ़ काम कर रहा है। निर्मल को मैंने कई दफ़ा ये बात समझाने की कोशिश भी की, लेकिन उसका लक्ष्य कुछ और ही है। मैं क्या कर सकता हूं?” नामधारी ने सवाल किया। उन्होंने माना कि निर्मल अपने तथाकथित चमत्कारों से जनता से पैसे वसूलने के ‘गलत खेल’ में लगे हुए हैं जो विज्ञान और धर्म किसी भी कसौटी पर जायज़ नही ठहराया जा सकता।
ठेकेदार निर्मल नरूला से निर्मल बाबा तक: निर्मल नरूला उर्फ निर्मल बाबा विवाह के बाद करीब 1974-75 के दौरान झारखंड गया था और वहां उसने लाईम स्टोन का व्यवसाय शुरू किया, मगर उसमें सफल नहीं हुआ. इसके बाद झारखण्ड के ही गढ़वा में कपड़े का व्यवसाय शुरू किया, लेकिन वहां भी सफल नहीं हो सका. एक वक्त ऐसा भी था कि ये निर्मल बाबा काफी परेशानियों से जूझ रहा था. तब बिहार में मंत्री रहे इंदर सिंह नामधारी ने माइनिंग का एक बड़ा काम इसे दिलवाया था. तब यह ठेकेदारी का काम करता था. उसी कार्य के दौरान इस उसके रिश्तेदारों ने प्रचार करना शुरू कर दिया कि बाबा को ज्ञान की प्राप्ति हो गई है.

source: http://visfot.com/home/index.php/permalink/6164.html

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